पन्चइतिया कुआं

पन्चइतिया कुआं

Saturday, 16 July 2011 | comments (2)

हमे सफ़ल बनाना है सर्व शिक्षा अभियान । जिसमे कहा गया है सब पढ़े सब बढ़े।आज डिप्टी साहब का आदेश आया है हमारे बडका मास्टर साहब को। हमे भोजन भी तो मिलेगा । आज तहरी बनती है हमारे विद्यालय मे क्योंकि आज शुक्रवार है । तहरी जिसमे पडी होगी सोयबीन जैसे मिठाई की सुन्दरता बनाने के लिये दुकानदार उपर लगाता है चेरी के दाने "ललका"।दस किलो चावल में एक किलो दाल पडती है ।प्रोटीन युक्त भोजन का मामला है। हमारी पौष्टिकता का पुरा ध्यान रखते है हमरे प्रधान जी ।अरे अब तो और स्वादिष्ट खाना मिलेगा क्योकि अब कन्वर्जन कास्ट २.६९ पैसे से २.८९ पैसे हो गयी है। इसीलिये तो प्रधान जी भोजन की गुणवत्ता रोज देखते है । सब्जी में अधिक तेल पड़ जाने पर रसोइये...

एक अपुर्ण प्रेम पत्र

एक अपुर्ण प्रेम पत्र

Friday, 19 November 2010 | comments (2)

अनुभूति गुजरे दिनो कीतब मै इतना बेबस न था क्योंकि इतना बडा न थाये बडा होना बेबसी का कहर बरपाता चला जायेगाऔर मिलने पर कभी सडक के आर पार खिलखिलाकर मुस्कुरा देगें होने पर सामनाउमड़ती भावनाओं को अनुपस्थिती के जज्बातों कोआंखो की नमी से धुमिल कर देंग...

होली-गीत - १

होली-गीत - १

Saturday, 27 February 2010 | comments

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उसका आना

उसका आना

Friday, 19 February 2010 | comments (2)

वो आयी इस तरह जैसे पीली शाम हो थकी हुई सहमी हुई वो आयी तो जरुर लेकिन जाने के लिये आज फ़िर किसी ने तोड़ा है उसके सम्मान को एक कली की तरह वह टूट गयी फ़िर एक बार मैं कुछ न कर सका और वह चली गयी जैसे पीली शाम हो पर उम्मीद है मुझे वो आयेगी फ़िर से सुबह बन के छा जायेगी पूरे क्षितिज पर रोशनी होगी हर तरफ़ वो आयेगी जरुर आयेगी…...

तुम्हारा प्रेम

तुम्हारा  प्रेम

Sunday, 14 February 2010 | comments (7)

तुम्हारा प्रेम मेरी ‘शक्ति,तुम्हारी कमी मेरी ‘कमजोरी,इसलियेअप्रभावित रहना चाहता हू़ंइस क्रूर समाज मेंइसकी निर्मम मर्यादाओं सेऔरप्राप्त करना चाहता हूंवो शक्तिवो दिव्यताजब बन्द कर अपनी आखेंमुक्त कर सकूंअपनी आत्मा कोपल भर मेंइस शरीर सेसमाज की जंजीरो से और फ़िरविचर सकूंतेरे प्रेम के साथउसके मीठे एहसास के साथपूरे ब्रह्माडं म...

कौन कहता है

कौन कहता है

Thursday, 11 February 2010 | comments (2)

कौन कहता है जो दिखता है वो है नहीं क्या यह सच है ? क्या अन्तर है उसके कहने में और मेरे समझने में। सच में मैं परिपूर्ण हूं? भावनाओं की क्रूरता से किसी की करुणा से किसी की शिक्षा से किसी की सलाह से या स्वयं के पागलपन से या फ़िर मै अछुता हूं उसकी अनुभूति से स्पर्श से या स्वयं से...

ऐसी थी मेरी पहली रोटी

ऐसी थी मेरी पहली रोटी

Monday, 23 November 2009 | comments

दिल से चाहा मैंने उसेसोचा था उसके बारे मेंपहले तो मैं डर गयापर सोचा आज तो करना हैफिर शुरु हो गया द्वंद्वउसके और मेरे बीचबहुत ही प्रयासों सेआखिर वो मिल ही गयीये मेरे सपने के सच होने जैसा थाखुशी मिली असीम मुझेउसके स्वाद की अनुभूति नेकर दिया मुझे आत्मविभोरवो कोई और नहीं थीवो थी मेरी पहली रोटीलेकिन वो कोई साधारण रोटी नहींरोटी थी मेरे आत्मविश्वास कीजिसे...
 
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