हमे सफ़ल बनाना है सर्व शिक्षा अभियान । जिसमे कहा गया है सब पढ़े सब बढ़े।आज डिप्टी साहब का आदेश आया है हमारे बडका मास्टर साहब को। हमे भोजन भी तो मिलेगा । आज तहरी बनती है हमारे विद्यालय मे क्योंकि आज शुक्रवार है । तहरी जिसमे पडी होगी सोयबीन जैसे मिठाई की सुन्दरता बनाने के लिये दुकानदार उपर लगाता है चेरी के दाने "ललका"।दस किलो चावल में एक किलो दाल पडती है ।प्रोटीन युक्त भोजन का मामला है। हमारी पौष्टिकता का पुरा ध्यान रखते है हमरे प्रधान जी ।अरे अब तो और स्वादिष्ट खाना मिलेगा क्योकि अब कन्वर्जन कास्ट २.६९ पैसे से २.८९ पैसे हो गयी है। इसीलिये तो प्रधान जी भोजन की गुणवत्ता रोज देखते है । सब्जी में अधिक तेल पड़ जाने पर रसोइये को गरीयाते भी है। खाना बनाने वाले गैस का भरपूर उपयोग होता है प्रधान जी की चाय में होता है। ई बात हमरे चाचा से बतिया रहे थे बिस्कुट चाचा।
ये तो हमारे प्रधान जी है । हमारे मास्टर साहब भी हमारी शिक्षा का पुरा ध्यान देते है । लेकिन करे भी क्या वो भी तो मिड डे मिल का हिसाब और छात्रवृति का हिसाब बनाते ही रहते है तब तक गाव के बिस्कुट चाचा (अरे वही जो हमरे चाचा से बतिया रहे है) आ जाते है और उनको समझाते समझाते छुट्टी हो जाती है। कभी कभी आते है तो नन्ह्कूआ और बिट्टु का मार देखते है और कहते है तुन्हन कभो ना पड़बा सो ...........।बिट्टु और उसका छोटका मे सात साल की लहुराइ जेठाइ है लेकिन दोनो एक कक्षा मे बैठते दोनो दो का पहाड़ा याद करते है। का करे बेचारे कमरे का पैसा मास्साब और परधान जी खाय गये बात भी एसी ही थी परधान जी के लड़की की शादी थी सो पैसे की जरूरत थी अब गांव वाले भी क्या बोले गांव के इज्जत की बात थी। एक बात और बताये हमरे दुसरे मास्साब है न उ हमेशा एगो लड़्की से बतियाते रहते है।कभ्भो कभ्भो तो फोनवे पे चुम्मा भी देते है हमको और अशोकवा को बहुते मजा आता है।उनके फोनवा मे न गाना भी बजता है । नयी हीरो वाली मोटर साइकिल से आते है फिर अन्ग्रेजी का ए बी सी कहते है फ़िर फोनवे पे बतियाते बतियाते चले जाते है।
हम और हमरी गोल के लइका बस यही देखते है की खैका बना बस खाओ और स्कूल के पिछवाडे़ वाले बगैचा मे गुल्ली डन्डा खेले कल का सुधीरवा खुब दौरवले रहल आज ओक दौरावल जाइ। हम लोग भी यही देखते है की कब छोटका मास्साब जाये और हम फ़ीरी ।एक बजे तो छुट्टी हो जायेगी । बस बस्ता लिये और घर ।...........
ये तो हमारे प्रधान जी है । हमारे मास्टर साहब भी हमारी शिक्षा का पुरा ध्यान देते है । लेकिन करे भी क्या वो भी तो मिड डे मिल का हिसाब और छात्रवृति का हिसाब बनाते ही रहते है तब तक गाव के बिस्कुट चाचा (अरे वही जो हमरे चाचा से बतिया रहे है) आ जाते है और उनको समझाते समझाते छुट्टी हो जाती है। कभी कभी आते है तो नन्ह्कूआ और बिट्टु का मार देखते है और कहते है तुन्हन कभो ना पड़बा सो ...........।बिट्टु और उसका छोटका मे सात साल की लहुराइ जेठाइ है लेकिन दोनो एक कक्षा मे बैठते दोनो दो का पहाड़ा याद करते है। का करे बेचारे कमरे का पैसा मास्साब और परधान जी खाय गये बात भी एसी ही थी परधान जी के लड़की की शादी थी सो पैसे की जरूरत थी अब गांव वाले भी क्या बोले गांव के इज्जत की बात थी। एक बात और बताये हमरे दुसरे मास्साब है न उ हमेशा एगो लड़्की से बतियाते रहते है।कभ्भो कभ्भो तो फोनवे पे चुम्मा भी देते है हमको और अशोकवा को बहुते मजा आता है।उनके फोनवा मे न गाना भी बजता है । नयी हीरो वाली मोटर साइकिल से आते है फिर अन्ग्रेजी का ए बी सी कहते है फ़िर फोनवे पे बतियाते बतियाते चले जाते है।
हम और हमरी गोल के लइका बस यही देखते है की खैका बना बस खाओ और स्कूल के पिछवाडे़ वाले बगैचा मे गुल्ली डन्डा खेले कल का सुधीरवा खुब दौरवले रहल आज ओक दौरावल जाइ। हम लोग भी यही देखते है की कब छोटका मास्साब जाये और हम फ़ीरी ।एक बजे तो छुट्टी हो जायेगी । बस बस्ता लिये और घर ।...........