उसका आना

Friday 19 February, 2010 | comments (2)


वो आयी

इस तरह

जैसे पीली शाम हो

थकी हुई सहमी हुई

वो आयी तो जरुर

लेकिन जाने के लिये

आज फ़िर किसी ने

तोड़ा है उसके सम्मान को

एक कली की तरह

वह टूट गयी फ़िर एक बार

मैं कुछ न कर सका

और वह चली गयी

जैसे पीली शाम हो

पर उम्मीद है मुझे

वो आयेगी फ़िर से

सुबह बन के

छा जायेगी पूरे क्षितिज पर

रोशनी होगी हर तरफ़

वो आयेगी जरुर आयेगी………!

Share this article :

+ comments + 2 comments

19 February 2010 at 1:44 pm

बहुत सुन्दर रचना
आभार ...........

आशावादी भाव संजोती अभिव्यक्ति.

Post a Comment
 
Support : Creating Website | Johny Template | Mas Template
Copyright © 2011. रम्य-रचना - All Rights Reserved
Template Created by Creating Website Published by Mas Template
Proudly powered by Blogger