ऐसी थी मेरी पहली रोटी

Monday 23 November, 2009 | comments

दिल से चाहा मैंने उसे
सोचा था उसके बारे में
पहले तो मैं डर गया
पर सोचा आज तो करना है
फिर शुरु हो गया द्वंद्व
उसके और मेरे बीच
बहुत ही प्रयासों से
आखिर वो मिल ही गयी
ये मेरे सपने के सच होने जैसा था
खुशी मिली असीम मुझे
उसके स्वाद की अनुभूति ने
कर दिया मुझे आत्मविभोर
वो कोई और नहीं थी
वो थी मेरी पहली रोटी
लेकिन वो कोई साधारण रोटी नहीं
रोटी थी मेरे आत्मविश्वास की
जिसे मैंने अपने धैर्य की अग्नि में
तपाकर तैयार किया ....
ऐसी थी मेरी पहली रोटी ।
Share this article :
 
Support : Creating Website | Johny Template | Mas Template
Copyright © 2011. रम्य-रचना - All Rights Reserved
Template Created by Creating Website Published by Mas Template
Proudly powered by Blogger